कुछ ने संगीनों के आगे ताना सीना तो कुछ ने फांसी का फंदा चूमा
जंग-ए-आजादी का दीपक शहीदों की शहादत से रौशन हुआ। अंग्रेजों की बर्बरता भयानक थी। उनकी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने वाले को मौत की सजा देने में देर नहीं लगाते थे। इसकी परवाह किए बगैर आजादी के मतवालों ने सरफरोशी की तमन्ना अपने अंदर पाले रखा। जंग-ए-आजादी के कई पुरोधाओं ने संगीनों के आगे अपना सीना अड़ा दिया तो कई फांसी के तख्ते को हंस कर चूमा। अंग्रेजों की बर्बरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशभक्तों को फांसी के फंदे पर उन्हीं के अपनों के सामने लटका देते थे। जिले में कुछ ऐसे ही स्वतंत्रता संग्राम के तीर्थ स्थल हैं, जहां देशभक्तों की यादें हैं।
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